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Badi Khabar

संविधान निर्माण में छत्तीसगढ़ का योगदान: छत्तीसगढ़ के माटी पुत्र, संविधान के शिल्पीकार

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रायपुरः भारत में संविधान सर्वोच्च है और पूरे देश का तंत्र इसके आधार पर चल रहा है। संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था लेकिन संविधान सभा ने इसे 26 नवंबर 1949 को अपनाया था। इसलिए संविधान के प्रति जागरूक करने और संवैधानिक मूल्यों को याद दिलाने के लिए हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है।

संविधान निर्माण में छत्तीसगढ़ का भी विशेष योगदान रहा है हालांकि तब छत्तीसगढ़ अविभाजित मध्यप्रदेश का हिस्सा था। मुख्यमंत्री रहे पंडित रविशंकर शुक्ल, अकलतरा से आने वाले बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल, दुर्ग के रहने वाले घनश्याम गुप्त, कांकेर के रहने वाले रामप्रसाद पोटई, रायगढ़ के किशोर मोहन त्रिपाठी और सतनामी गुरु अगम दास ने संविधान निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी।


घनश्याम गुप्त की अध्यक्षता में हिंदी अनुवाद

संविधान सभा में 299 सदस्य थे। 2 साल 11 महीने 18 दिन में कुल 114 दिन तक बैठकें हुई। इसके बाद 24 जनवरी 1950 को संविधान के प्रारूप पर हस्ताक्षर कर इसे मान्यता दी गई। इसके पेज नंबर 227 से 230 तक रविशंकर शुक्ल, ठाकुर छेदीलाल, घनश्याम गुप्त, रामप्रसाद पोटाई और किशोर मोहन त्रिपाठी के हस्ताक्षर हैं। घनश्याम गुप्त की अध्यक्षता में संविधान के हिंदी अनुवाद के लिए समिति गठित की गई थी। 24 जनवरी 1950 को घनश्याम गुप्त ने डॉ राजेन्द्र प्रसाद को संविधान की हिन्दी प्रति सौंपी थी।

संविधान सभा में शामिल माटीपुत्रों के सम्मान के लिए अनेक कार्य किए गए हैं। मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे पंडित रविशंकर शुक्ल के नाम से पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय संचालित है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बैरिस्टर छेदीलाल के नाम से जांजगीर-चांपा जिले में महाविद्यालय खोला गया। इसी तरह घनश्याम गुप्त की स्मृति में बालोद में कॉलेज का संचालन किया जा रहा है। संविधान सभा में रियासत के प्रतिनिधि के तौर पर शामिल रामप्रसाद पोटाई और पंचायती राज के हिमायती किशोरी मोहन त्रिपाठी को भी छत्तीसगढ़ ने पूरे सम्मान के साथ अपने स्मृति में रखा है।

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