नई दिल्लीः पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का गुरुवार को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। तबीयत बिगड़ने के बाद देर शाम उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। देर रात उनका पार्थिव शरीर एम्स से उनके आवास पर लाया गया। केंद्र सरकार ने 27 दिसंबर के लिए निर्धारित सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं और 7 दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।
भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री
भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री होने के साथ वो एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री भी थे। उन्हें भारत में आर्थिक सुधारों के जनक के रूप में जाना जाता है। डॉ मनमोहन सिंह न केवल अपने विजन के लिए जाने जाते हैं, जिसने भारत को एक आर्थिक महाशक्ति बना दिया, बल्कि उनकी कड़ी मेहनत और उनके विनम्र, मृदुभाषी व्यवहार के लिए भी जाने जाते हैं।
डॉ मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पंजाब में हुआ था। उन्होंने 1952 में पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक और 1954 में परास्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने 1957 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अपना आर्थिक ट्रिपोस पूरा किया। इसके बाद उन्होंने 1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डीफिल की उपाधि प्राप्त की।
डॉ मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अध्यापन कार्य किया। वे 1971 में वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में भारत सरकार में शामिल हुए। उन्हें जल्द ही 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में पदोन्नत किया गया। यूएनसीटीएडी सचिवालय में एक छोटे कार्यकाल के बाद, उन्हें 1987-1990 तक जिनेवा में दक्षिण आयोग का महासचिव नियुक्त किया गया। इसके अलावा, डॉ. सिंह ने वित्त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के पदों पर भी कार्य किया।
डॉ सिंह 1991 में राज्यसभा के सदस्य रहे, जहां वे 1998-2004 तक विपक्ष के नेता थे। 2004 और 2009 में कांग्रेस पार्टी की ऐतिहासिक जीत के बाद, उन्होंने 22 मई, 2004 और फिर 22 मई, 2009 को प्रधानमंत्री का पद संभाला।
विकास के प्रति डॉ सिंह की प्रतिबद्धता और उनकी कई उपलब्धियों को उन कई सम्मानों के माध्यम से मान्यता मिली है, जो उन्हें दिए गए हैं। इनमें 1987 में पद्म विभूषण, 1993 में वित्त मंत्री के लिए यूरो मनी अवार्ड, 1993 और 1994 में वित्त मंत्री के लिए एशिया मनी अवार्ड और 1995 में भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी पुरस्कार शामिल हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, "पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी उन विरल राजनेताओं में से एक थे, जिन्होंने शिक्षा और प्रशासन की दुनिया में समान सहजता से काम किया. सार्वजनिक कार्यालयों में अपनी विभिन्न भूमिकाओं में, उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को सुधारने में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्हें राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा, उनके बेदाग राजनीतिक जीवन और उनकी अत्यंत विनम्रता के लिए हमेशा याद किया जाएगा. उनका जाना हम सभी के लिए बहुत बड़ी क्षति है. मैं भारत के महानतम सपूतों में से एक को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं और उनके परिवार, मित्रों और प्रशंसकों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करती हूं."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया, "भारत अपने सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक, डॉ मनमोहन सिंह जी के निधन पर शोक मना रहा है। साधारण पृष्ठभूमि से उठकर, वे एक सम्मानित अर्थशास्त्री बन गए। हमारे प्रधानमंत्री के रूप में, उन्होंने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक प्रयास किए।"
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा, "मनमोहन सिंह जी ने असीम बुद्धिमत्ता और ईमानदारी के साथ भारत का नेतृत्व किया. उनकी विनम्रता और अर्थशास्त्र की गहरी समझ ने पूरे देश को प्रेरित किया. श्रीमती कौर और उनके परिवार के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं. मैंने एक मार्गदर्शक खो दिया है. हममें से लाखों लोग जो उनके प्रशंसक थे, उन्हें अत्यंत गर्व के साथ याद करेंगे."
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