मुंबईः सेना दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में तीन युद्धपोतों INS सूरत, INS नीलगिरी और INS वाघशीर को राष्ट्र को समर्पित किया। ये तीनों अत्याधुनिक युद्धपोत आत्मनिर्भर भारत की मिसाल हैं।
INS सूरत की खासियत
P15B गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर परियोजना का चौथा और अंतिम युद्धपोत INS सूरत दुनिया के सबसे बड़े विध्वंसक युद्धपोतों में एक है। इसमें 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री है और ये अत्याधुनिक हथियार-सेंसर पैकेज और उन्नत नेटवर्क-केंद्रित क्षमताओं से लैस है।
INS नीलगिरी की खासियत
P17A स्टील्थ फ्रिगेट परियोजना के पहले युद्धपोत INS नीलगिरि को भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया है। इसे समुद्र में लंबे समय तक रहने और उन्नत स्टील्थ सुविधाओं से लैस किया गया है। INS सूरत और INS नीलगिरि सीमा से कुछ किलोमीटर दूर हवा में दुश्मन की मिसाइल को नष्ट कर सकते हैं।
INS वाघशीर की खासियत
P75 स्कॉर्पीन परियोजना की छठी और अंतिम पनडुब्बी INS वाघशीर, पनडुब्बी निर्माण में भारत की बढ़ती विशेषज्ञता की मिसाल है। इसका निर्माण फ्रांस के नौसेना समूह के सहयोग से किया गया है। इस पनडुब्बी से लंबी दूरी की मिसाइलें दागी जा सकती है।
राष्ट्र को समर्पित ये तीनों युद्धपोत देश की समुद्री सुरक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। 15 जनवरी 1949 को फील्ड मार्शल कोडंडेरा एम. करियप्पा ने जनरल सर फ्रांसिस बुचर से भारतीय सेना के पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ के रूप में पदभार ग्रहण किया था। देश के उन सैनिकों को सम्मानित करने के लिये प्रत्येक वर्ष सेना दिवस मनाया जाता है, जिन्होंने निस्वार्थ सेवा और भाईचारे की सबसे बड़ी मिसाल कायम की है।