पटनाः 'दिल्ली के शेर' के रूप में मशहूर मदनलाल खुराना भारतीय राजनीति के नक्षत्र के दिप्तीमान सितारों में शामिल रहे हैं। इनका नाम उन पुरोधा नेताओं में है, जो भाजपा की स्थापना से पहले से ही संघ परिवार से जुड़े हुए थे।
मदनलाल खुराना का जन्म 15 अक्टूबर 1936 को मौजूदा पाकिस्तान के फैसलाबाद में हुआ था और बंटवारे के बाद उनका परिवार दिल्ली की एक रिफ्यूजी कॉलोनी में आकर बस गया। दिल्ली में पढ़ाई के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर के दौरान वो छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए। उन्होंने जनसंघ कार्यकर्ता के रूप में दिल्ली की राजनीति में पहला कदम रखा और कॉलेज के साथियों के साथ मिलकर जनसंघ के दिल्ली अध्याय की नींव रखी।
एक आवाज पर थम जाती थी दिल्ली
मदनलाल खुराना 1965 से 1967 और 1975 से 1977 तक जनसंघ के महासचिव रहे। साल 1966 में वो पहाड़गंज से चुनाव जीत कर पार्षद बने। 1977-80 के बीच उन्होंने दिल्ली के स्वास्थ्य, उद्योग, ऊर्जा, आपूर्ति, न्याय एवं विधि समिति के कार्यकारी सभापति की जिम्मेदारी संभाली। मदनलाल खुराना 1980 से 1986 तक भाजपा दिल्ली के महासचिव रहे। इस दौरान वो जनता के मुद्दों के लिए आंदोलन से कभी पीछे नहीं हटे, कहते हैं कि उनकी एक आवाज पर दिल्ली थम जाती थी। 1984 में जब पूरी दिल्ली सिख विरोधी दंगों में झुलस रही थी, तब भी इन्होंने कई इलाकों में दंगाइयों को घुसने भी नहीं दिया। उस दौर में दंगा प्रभावितों के पुनर्वास में भी मदनलाल खुराना ने महती भूमिका निभाई। अटल बिहारी वाजपेयी और मुरली मनोहर जोशी को वो अपना मार्गदर्शक मानते थे।
दिल्ली मेट्रो के दूरदृष्टा
1986 में भाजपा ने उन्हें दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप दी। इसके बाद 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में वो दक्षिण दिल्ली सीट से सांसद चुने गए। 1991 में 69वें संविधान संशोधन के बाद दिल्ली में हुए चुनाव में भाजपा को मिली शानदार जीत में मदनलाल खुराना का बड़ा हाथ था। उनकी राजनीतिक दूरदर्शिता को देखते हुए पार्टी ने उन्हें दिल्ली के मुख्यमंत्री की कमान सौंप दी। वो 2 दिसंबर 1993 से 26 फरवरी 1996 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे।
मदनलाल खुराना ने मुख्यमंत्री बनने के बाद दिल्ली मेट्रो की डीपीआर के लिए बजट पास किया था, उनकी दूरदर्शिता का लाभ आज पूरी दिल्ली, एनसीआर और देश को मिल रहा है। पीने के पानी की समस्या को दूर करने के लिए यमुना विवाद को सुलझाने और उस दौर में फ्लाइओवर्स का जाल बिछाने का श्रेय भी मदनलाल खुराना को जाता है।
भारतीय जनता पार्टी के रहे उपाध्यक्ष
लोकसभा चुनाव 1998 में मदनलाल खुराना दिल्ली सदर से जीत कर संसद पहुंचे और कैबिनेट में उन्हें संसदीय कार्य मंत्री के साथ ही पर्यटन मंत्रालय का जिम्मा दिया गया। 1999 के आम चुनाव में भी उन्हें दिल्ली सदर सीट से जीत मिली। 1999 में ही उन्हें भारतीय जनता पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद 14 जनवरी 2004 को उन्होंने राजस्थान के राज्यपाल पथ की शपथ ली।
मदनलाल खुराना ने 83 साल की उम्र में 27 अक्टूबर 2018 को अंतिम सांस ली। दिल्ली में रिफ्यूजी से लेकर मुख्यमंत्री और राजस्थान के राज्यपाल बनने का उनका सफर कई मायनों में प्रेरणा का स्त्रोत है। आज पूरा देश उनके कृतित्व और व्यक्तित्व का पुण्य स्मरण कर रहा है।