नई दिल्लीः मूर्धन्य कवि, प्रखर पत्रकार, ओजस्वी वक्ता और करिश्माई राजनीतिज्ञ भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी चार दशकों तक राजनीति में सक्रिय रहे। इस दौरान वो लोकसभा में 9 बार सांसद और राज्य सभा के लिए 2 बार चुने गए, जो अपने आप में एक कीर्तिमान है। अटल जी एकमात्र ऐसे नेता हैं, जिन्हें चार अलग-अलग राज्यों उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश और दिल्ली से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचने का गौरव हासिल है।
पत्रकारिता से शुरुआत
25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी अपने छात्र जीवन में साल 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया। उन्होंने मासिक पत्रिका राष्ट्रधर्म, हिंदी साप्ताहिक पाञ्चजन्य और दैनिक अखबारों जैसे स्वदेश और वीर अर्जुन का संपादन किया। उन्होंने कई किताबें भी लिखीं, जिनमें मेरी संसदीय यात्रा-चार भाग में, मेरी इक्यावन कविताएं, संकल्प काल, शक्ति से शांति प्रमुख हैं।
पत्रकार से राजनेता का सफर
अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने करियर की शुरुआत पत्रकार के रूप में की थी। एक अनहोनी घटना के बाद उनके जीवन में नया मोड़ आ गया और अटल जी राजनेता बनने की राह पर चल पड़े। एक बार खुद अटल जी ने एक इंटरव्यू में इसके बारे में बताया था। उन्होंने कहा कि - 1953 में भारतीय जनसंघ के नेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू-कश्मीर में परमिट सिस्टम का विरोध करने के श्रीनगर गए थे। इस घटना को कवर करने के लिए अटल जी पत्रकार के रूप में साथ गए। विरोध के दौरान डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इसके कुछ दिनों बाद कश्मीर में नजरबंदी की हालत में उनका देहावसान हो गया। इस घटना से अटल जी काफी आहत हुए। उन्होंने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के काम को आगे बढ़ाने की ठानी और पत्रकारिता छोड़कर राजनीति में आ गए।
संयुक्त राष्ट्र में ऐतिहासिक संबोधन
अटल बिहारी वाजपेयी 1951 में जनसंघ के संस्थापक सदस्य, 1968-1973 में भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष और 1955-1977 में जनसंघ संसदीय पार्टी के नेता रहे। 1980 से 1986 तक उन्होंने भाजपा के अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी संभाली। इसके साथ ही 1980-1984, 1986, 1993-1996 में भाजपा संसदीय दल के नेता रहे। 1994 में उन्हें भारत का सर्वश्रेष्ठ सांसद चुना गया। ग्यारहवीं लोक सभा के दौरान 1996-97 में वो नेता विपक्ष के पद पर रहे। अंग्रेजी के अच्छे जानकार होने के बावजूद उन्हें हिंदी से बेहद लगाव था। 4 अक्टूबर 1977 को जब उन्होंने विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र की महासभा में हिंदी में भाषण दिया तो दुनिया के नेताओं ने तालियां बजाकर और खड़े होकर उनका अभिनंदन किया था। उनका ये भाषण ऐतिहासिक हो गया।
तीन बार रहे प्रधानमंत्री
अटल जी को 1996, 1998 और 1999 में तीन बार प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला। प्रधानमंत्री रहने के दौरान 1998 में उन्होंने परमाणु परीक्षण कर पूरी दुनिया को उभरते भारत की ताकत का अहसास कराया। इसी दौरान पाकिस्तान की बड़ी घुसपैठ को नाकाम करते हुए उन्होंने देश का मान बढ़ाया। अटल जी देश में मोबाइल क्रांति के जन्मदाता थे। उनके कार्यकाल में राष्ट्रीय राजमार्ग और स्वर्णिम चतुर्भुज योजनाओं के जरिए बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के विकास से राष्ट्र का पुनर्निर्माण शुरू हुआ।
दहेज में मांगा पूरा पाकिस्तान
अटल बिहारी वाजपेयी की वाकपटुता अनन्य थी। इससे जुड़ा एक किस्सा कभी सुर्खियों में रहा था। बात मार्च 1999 की है, तब अटल जी प्रधानमंत्री के रूप में लाहौर गए थे। वहां पाकिस्तान की एक महिला पत्रकार ने अटल जी से कहा कि आप अविवाहित हैं, यदि आप मुझे मुंह दिखाई में कश्मीर दे देंगे तो मैं आपसे शादी कर लूंगी। महिला पत्रकार के इस प्रस्ताव से प्रेस वार्ता में सन्नाटा पसर गया। तभी अटल जी ने हंसते हुए कहा कि "मैडम मैं भी शादी के लिए तैयार हूं, लेकिन मुझे दहेज में पूरा पाकिस्तान चाहिए।" अटल जी का ये जवाब को सुनकर सभी पत्रकार हंसने लगे और इस तरह पाकिस्तान के लोग भी उनकी हाजिरजवाबी के मुरीद हो गए।
अटल जी के अटूट कीर्तिमान
अटल जी देश के एक मात्र ऐसे राजनेता हैं, जिन्होंने 4 अलग-अलग राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और दिल्ली से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचने का कीर्तिमान बनाया है। अटल जी 1957 से संसद सदस्य रहे हैं। वो 5वीं, 6वीं, 7वीं लोकसभा.. उसके बाद 10वीं, 11वीं, 12वीं और 13वीं लोकसभा में चुनाव जीतकर पहुंचे। इसके साथ ही 1962 और 1986 में 2 बार राज्यसभा के सदस्य भी रहे। इस तरह वो 9 बार सांसद रहे और इस बीच 3 बार प्रधानमंत्री रहे।
पहली बार 1996, दूसरी बार 1998 और तीसरी बार 1999 में प्रधानमंत्री बने। अटल जी पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे। इसके साथ ही जवाहर लाल नेहरू के बाद लगातार तीन लोकसभा चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बनने वाले अटल जी पहले नेता थे। इंदिरा गांधी के बाद लगातार तीन बार अपने नेतृत्व में पार्टी को जीत दिलाने वाले प्रधानमंत्री का गौरव भी अटल जी ने हासिल किया था।
छत्तीसगढ़ से विशेष लगाव
अटल बिहारी वाजपेयी का छत्तीसगढ़ से विशेष आत्मीय लगाव था। साल 1962 में अटल जी रायपुर प्रवास पर आए थे। यहां उन्होंने रामसागरपारा स्थित किरोड़ीमल धर्मशाला में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की बैठक में मार्गदर्शन किया था। इसके बाद 1972 में धमतरी प्रवास के दौरान संगठन कार्यों को लेकर मार्गदर्शन दिया। 10 सितंबर 1979 को उन्होंने कवर्धा में एक जनसभा को संबोधित किया था। 1984 में अटल जी सरगुजा प्रवास पर आए थे। यहां उन्होंने दिलीप सिंह जूदेव, बलीराम कश्यप और लखीराम अग्रवाल के साथ संगठन कार्यों की समीक्षा की थी।
अटल जी अक्सर छत्तीसगढ़ प्रवास पर आया करते थे। खासकर बस्तर और बलीराम कश्यप से उनका विशेष लगाव था। कहते हैं कि बलीराम कश्यप की बात अटल जी कभी नहीं काटते थे। बलीराम कश्यप जी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं। एक बार बस्तर प्रवास के दौरान अटल जी ने बड़ी ही सहजता और सरलता के साथ जमीन पर बैठ कर संगठन के सहयोगियों के साथ भोजन किया था।
11 सांसद के बदले नया छत्तीसगढ़
साल 1998 में एक प्रवास के दौरान पंडित अटल बिहारी वाजपेयी ने रायपुर स्थित सप्रेशाला में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि "आप मुझे 11 सांसद दो, मैं आपको छत्तीसगढ़ दूंगा।" चुनाव के बाद अटल जी की सरकार बनी। वादे के अनुसार 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आया और अटल प्रतिज्ञा पूरी हुई। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह अटल बिहारी वाजपेयी को अपना गुरु मानते हैं, अटल जी उन्हें अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया था। छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद अटल जी 2003 के चुनाव में अंबिकापुर आए थे। रायपुर के ऐतिहासिक बूढ़ा तालाब में स्थापित स्वामी विवेकानंद की 37 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण अटल बिहारी वाजपेयी ने अप्रैल 2005 में किया था।
साक्षात् मां सरस्वती का वरदान !
अटलजी भी कहते थे कि कविता उन्हें घुट्टी में मिली थी। उनके पिता संस्कृत भाषा और साहित्य के बड़े विद्वान थे। कहते हैं कि अटल जी की जिह्वा पर साक्षात् मां सरस्वती विराजमान रहती थीं। अटल जी ने कई अखबारों में संपादन के अलावा बहुत सी कविताएं और किताबें लिखीं। 1959 में 'मेरी इक्यावन कविताएं', इमरजेंसी के दौरान जेल में लिखी गई कविताओं का संकलन 'कैदी कविराज की कुंडलियां', 1997 में 'श्रेष्ठ कविता', 1999 में 'क्या खोया क्या पाया' और 2003 में '21 कविताओं का संकलन प्रकाशित हुआ। इसी तरह संकल्प काल, शक्ति से शांति, फोर डीकेड्स इन पार्लियामेंट, अमर बलिदान और न्यू डाइमेंसंस ऑफ इंडियाज फॉरेन पॉलिसी जैसी कई किताबों से उनके विराट व्यक्तित्व की झलक मिलती है।
16 अगस्त को पुण्यतिथि
अटल बिहारी वाजपेयी 16 अगस्त 2018 को 93 साल की आयु में दिल्ली AIIMS में आखिरी सांस ली। 11 जून को यूरिन इन्फेक्शन के बाद वे भर्ती हुए थे। उनके निधन पर देश में शोक के साथ दुनियाभर के नेताओं ने श्रद्धांजलि दी थी।
सम्मानों की लंबी फेहरिश्त
अटल जी को लोकमान्य तिलक पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ संसद सदस्य जैसे कई सम्मान दिए गए। राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण और अद्वितीय सेवाओं के लिए उन्हें साल 1992 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 1993 में कानपुर विश्वदविद्यालय ने मानद डॉक्ट्रेट की उपाधि से नवाजा था। साल 2014 में उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' की घोषणा की गई और मार्च 2015 में उन्हें भारत रत्न की उपाधि से अलंकृत किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने उनके जन्मदिन 25 दिसंबर को गुड गवर्नेंस डे के रूप में मनाने की घोषणा की, जिसके बाद हर साल देश भर में सुशासन दिवस मनाया जा रहा है।