भोपालः दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और एक बार केंद्रीय मंत्री रहे सुंदरलाल पटवा की जन्म-शताब्दी पर देशभर के नेता उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर श्रद्धांजलि दी है।
सुंदरलाल पटवा सौम्य व्यक्तित्व, ओजस्वी वक्ता, कुशल प्रशासक और जुझारू नेता के रूप में जाने जाते हैं। दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और एक बार केंद्रीय मंत्री रहे सुंदरलाल पटवा जी ने देश-प्रदेश के साथ भाजपा को भी आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने प्रदेश के विकास को नई दिशा दी। उनके कार्यकाल के दौरान प्रदेश के कुख्यात अपराधियों पर नकेल कसा जा सका। पटवा की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि उन्होंने छिंदवाड़ा में कमलनाथ को भी हरा दिया था। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उन्हें केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री बनाया गया था। संगठन को मजबूत बनाने के साथ ही राष्ट्र निर्माण में उनका योगदान हर किसी को प्रेरित करता रहेगा।
दो बार CM रहे पटवा
सुंदरलाल पटवा का जन्म 11 नवंबर 1924 को नीमच से 45 किमी दूर कुकड़ेश्वर में हुआ था। छात्र जीवन से ही समाजसेवा में सक्रिय रहे पटवा 1942 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक बने। 1948 में संघ के आंदोलन में शामिल होने के कारण उन्हें 7 महीने जेल में बिताने पड़े। आपातकाल के दौरान उन्हें 27 जून 1975 से 28 जनवरी 1977 तक जेल में रहना पड़ा। उन्होंने 1957 से 1967 तक विधान सभा सदस्य और विरोधी दल के मुख्य सचेतक की भूमिका निभाई। पटवा 1975 में मध्य प्रदेश जनसंघ के महामंत्री बनाए गए। इसके बाद 20 जून 1980 से 17 फरवरी 1980 तक पहली बार मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री रहे। फिर 5 मार्च 1990 से 15 दिसंबर 1992 तक दूसरी बार मुख्यमंत्री पद का दायित्व संभाला।
जगदलपुर से झाबुआ तक पदयात्रा
भारतीय जनता पार्टी ने 1986 में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। उन्हें पीठासीन अधिकारियों के अखिल भारतीय सम्मेलन 1989 में ‘विधानसभा गौरव’ से सम्मानित किया गया। 1997 में छिंदवाड़ा में हुए लोकसभा उपचुनाव में कमलनाथ को हराकर वो पहली बार सांसद बने। 1998 में होशंगाबाद से सांसद निर्वाचित होने के बाद उन्हें केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री बनाया गया। पटवा ने सहकारी आंदोलन से जुड़कर अनेक महत्वपूर्ण दायित्वों को संभाला। उनके कार्यकाल में सहकारी संस्थाओं के माध्यम से कमजोर वर्गों, शिल्पियों और श्रमिकों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के सफल प्रयोग किए गए। इसके साथ ही उन्होंने 1984 में जगदलपुर से झाबुआ तक 2200 किलोमीटर की पदयात्रा की।
मरणोपरांत पद्म विभूषण
28 दिसंबर को 2016 को 92 साल की आयु में सुंदरलाल पटवा का निधन हो गया। उनके निधन के बाद केंद्र सरकार ने उन्हें भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया। भाजपा को सींचने और संवारने में अहम भूमिका निभाने वाले सुंदरलाल पटवा का पूरा जीवन देश और समाज की निस्वार्थ सेवा के लिए समर्पित रहा। कर्मयोगी सुंदरलाल पटवा को भावभीनी श्रद्धांजलि।